"गाजा के आँसू: मासूमियत की चीखें और दुनिया की ख़ामोशी"


 एक ऐसी दुनिया में जहां न्याय का नामोनिशान नहीं है, ज़ायोनी आतंकवादी गाजा में फिलिस्तीनी बच्चों को बेरहमी से मारते जा रहे हैं।

उनके मासूम चेहरे, जो कभी खिलखिलाते थे, अब जले हुए और दर्द से भरे हैं। ये चेहरे एक ऐसे नरसंहार की गवाही दे रहे हैं जिसे बयाँ करना भी मुश्किल है।

गाजा में जो हो रहा है, वो सिर्फ एक लड़ाई नहीं बल्कि एक लगातार चलने वाला नरसंहार है, जो बचपन और इंसानियत को राख में बदल रहा है।

ये बच्चे सिर्फ ज़ुल्म के शिकार नहीं हैं, बल्कि पूरी दुनिया की सोई हुई अंतरात्मा की चीखती हुई आवाज़ हैं।

हर आंसू, हर गिरते बच्चे में एक वजह ज़िंदा है, जिसे वक्त भी कभी मिटा नहीं पाएगा।

गाजा में हो रहे इस नरसंहार का दर्द हमेशा ज़िंदा रहेगा और इतिहास के पन्नों में चीखता रहेगा।



एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने