गाज़ा में मानवता का कत्ल: सियोनी ताकतों का बर्बर हमला

 

गाज़ा के सरकारी मीडिया कार्यालय ने बयान जारी करते हुए कहा है कि कब्ज़ा करने वाली सियोनी ताकतें युद्धविराम समझौते का घोर उल्लंघन कर रही हैं और आम नागरिकों की निर्मम हत्या का सिलसिला जारी रखे हुए हैं। गाज़ा पट्टी में महज़ 5 घंटों के भीतर 322 से अधिक मासूम लोग शहीद या लापता हो चुके हैं, जबकि दर्जनों लोग घायल पड़े हैं।


मानवाधिकारों की खुली अवहेलना

कब्ज़ा करने वाली ताकतें न केवल युद्धविराम समझौते का उल्लंघन कर रही हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय और मानवाधिकार कानूनों को भी पैरों तले रौंद रही हैं। यह नरसंहार संगठित तरीके से फिलिस्तीनी जनता को निशाना बना रहा है। शहीद और लापता लोगों में बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे और बुज़ुर्ग शामिल हैं, जो इस बर्बरता के सबसे बड़े शिकार हैं।

मानवीय संकट की भयावह स्थिति

गाज़ा में हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। ईंधन की पूरी तरह से कमी के चलते परिवहन व्यवस्था ठप है, जिससे घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाना भी नामुमकिन हो गया है। जो लोग किसी तरह अस्पताल पहुंच भी रहे हैं, वहां पहले से ही चिकित्सा सुविधाओं का अभाव है। स्वास्थ्य सेवाएं लगभग पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी हैं।


नरसंहार और भूखमरी: कब्ज़ा करने वाली ताकतों की योजना

गाज़ा में 24 लाख से ज़्यादा लोग बुनियादी ज़रूरतों से वंचित हो गए हैं। खाने-पीने की चीज़ें, दवाइयां, पीने का पानी, बच्चों का दूध और अन्य ज़रूरी सामान खत्म हो चुके हैं। अस्पताल बंद हो गए हैं और स्वास्थ्य सेवाएं नदारद हैं। ईंधन की कमी के कारण ज़रूरी सेवाएं भी बुरी तरह प्रभावित हो गई हैं।


यह नरसंहार न केवल युद्ध का हिस्सा है, बल्कि भूखमरी और मानवीय संकट को हथियार बनाकर फिलिस्तीनी जनता को कमजोर करने की सोची-समझी साजिश है। अंतरराष्ट्रीय कानून में आम नागरिकों को भूख के जरिए निशाना बनाना अपराध माना गया है, लेकिन सियोनी ताकतें खुलेआम इस कानून की धज्जियां उड़ा रही हैं।







अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील

हम इन बर्बर अपराधों की कड़ी निंदा करते हैं और कब्ज़ा करने वाली ताकतों को इन अमानवीय कृत्यों के लिए पूरी तरह से ज़िम्मेदार ठहराते हैं। हमारे बहादुर फिलिस्तीनी लोग इस बर्बरता से डरने वाले नहीं हैं। हम तब तक अपनी कानूनी और न्यायसंगत जंग जारी रखेंगे, जब तक हमारी पवित्र ज़मीन से कब्ज़ा खत्म नहीं हो जाता और हमारे अधिकार बहाल नहीं हो जाते।


हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय, संयुक्त राष्ट्र, सुरक्षा परिषद और मानवाधिकार संगठनों से अपील करते हैं कि वे इस नरसंहार के खिलाफ आवाज़ उठाएं। बच्चों, महिलाओं और आम नागरिकों पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए ठोस और कारगर कदम उठाएं। कब्ज़ा करने वाली ताकतों के नेताओं को उनके अपराधों के लिए अंतरराष्ट्रीय अदालतों में जवाबदेह ठहराया जाए।


अंतिम बात

हम एक बार फिर दोहराते हैं कि हमारे फिलिस्तीनी लोग इस जुल्म और बर्बरता को बेनकाब करने के लिए हर कानूनी, राजनीतिक और कूटनीतिक प्रयास जारी रखेंगे। यह संघर्ष केवल हमारी ज़मीन का नहीं, बल्कि इंसानियत और न्याय के सम्मान का है। दुनिया की आँखें इस हकीकत से मुंह नहीं मोड़ सकतीं।



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